महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay in Hindi
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay in Hindi
Essay on Women Empowerment in 300 words
भारत एक विभिन्न धर्मो वाला महान देश माना गया है, जहा सभी को समान अधिकार प्राप्त है । पुरुष और महिला दोनों सामाजिक, आर्थिक, एवं कानूनी रूप से समान माने गए है । महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं को हर तरह से शक्तिशाली बनाने की मुहीम एवं प्रयास को महिला सशक्तिकरण का नाम दिया गया है ।
पुरुषो को हमारे समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त है, किन्तु आज के आधुनिक युग में महिलाओं ने भी हर जगह अपने विजय परचम को लहराया है, और अपनी योग्यता साबित की है! महिलाये किसी भी क्षेत्र में पुरुषो से कम नहीं है, स्वयं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिला दिवस (8 मार्च) के उपलक्ष्य में यह सन्देश दिया कि, “ यदि हम देश की तरक्की चाहते है, तो सर्वप्रथम देश की महिलाओं को सशक्त बनाना होगा” तभी देश का विकास एवं उन्नति सम्भव है ।
महिला सशक्तिकरण क्यों अनिवार्य है?
महिलाओ को हमारे समाज में सदा से ही हीन दृष्टि से देखा गया है, जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा: “शुद्र, पशु, नारी और गंवार, ये सब ताडन के अधिकार”, नारी को पशु के समान कहने का किसी को कैसे अधिकार मिल सकता है, जबकि भारत का सविधान उसे स्वयं सर्वमान्य अधिकार एवं स्वतंत्रता प्रदान करता है ।
पूरे देश में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना पर्याप्त नहीं, इसके लिए देश के सभी नागरिको को अपनी कुंठित सोच को बदलना होगा, और उसकी शुरुआत सबसे पहले अपने घर से करनी होगी, इसलिए नारी को सम्मान दे, क्योकि उन में से एक आपकी माता है, बहन है या पत्नी है, और इसलिए कहा गया है:- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता”
Women Empowerment Essay in Hindi (400 words)
भूमिका- महिला सशक्तिकरण का मतलब महिलाओं को उनकी शक्ति, उनकी ताकत और उनकी योग्यता के विषय में बताना है जिससे की वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय ले सके। 8 मार्च को अंतराष्टरीय महिला दीवस मनाया जाता है। हर व्यक्ति को खुद से जुड़े हुए फैसले लेने की आजादी होती है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को ऐसी शक्ति देता है जिससे वो समाज में सही स्थान बना सके।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता- हमारे भारत देश में जहाँ महिलाओं को एक तरफ देवी की तरह पूजा जाता वही दुसरी तरफ उनके साथ होने वाले अत्याचारों की संख्या कम नही है। कहने को तो महिला और पुरुष बराबर है लेकिन मध्यकाल से लेकर अब तक महिला के जीवन से जुड़े सभी फैसले पुरूष ही करते आए हैं। भारत एक पितृपरधान देश है जहाँ पर सभी निर्णय पुरूषों द्वारा लिए जाते हैं। महिलाओं को उनकी योग्यता के बल पर समान हक दिलाने और पुरुषों को महिलाओं से जुड़ी जानकारी देने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हुई।
महिला सशक्तिकरण के लाभ- इसके कारण महिलाओं की जिंदगी में बहुत से बदलाव हुए। उन्होंने हर कार्य में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू किया है। अब वो अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद कर रही हैं। अब वो अपने हक के लिए लड़ने लगी हैं और धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनती जा रही हैं। पुरुष भी अब महिलाओं को समझने लगे है , उनके हक भी उन्हें दे रहें हैं जिनसे वो नाजाने कितने सालों से वंचित थी। मर्द अब औरत के फैसले की इज्जत करने लगे है। हक मांगने से नही मिलता छीनना पड़ता है और औरतों ने अपने हक अपनी काबिलियत से और एक जुट होकर मर्दों से हासिल कर लिए हैं।
” हक के लिए करली जंग की तैयारी। हम नारी शक्ति है सब पर भारी।”
महिलाओं के हक उठाए गए कदम- महिलाओं को हक दिलाने और लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार द्वारा बहुत से कानुन बनाए गए है-
1. समानता का मौलिक अधिकार जिससे की कोई भी लिंग के आधार पर आपसे भेदभाव नहीं कर सकता । 2. नौकरी के समान अवसर दिए गए है। 3. घरेलू हिंसा रोकने के लिए भी कानून बनाया गया है। 4. हाल ही में सरकार द्वारा कानून जारी किया गया है कि महिला की मर्जी है कि वो अभी बच्चा चाहती है या नहीं 5.सरकार द्वारा बाल विवाह पर भी रोक लगाई गई है और 18 साल के बाद महिला अपनी पसंद से शादी कर सकती है।
निष्कर्ष- महिला सशक्तिकरण महिलाओं को मजबूती दी है ताकि वो अपने हक के लिए लड़ सके। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। पुरुषों को भी महिलाओं का शोषण करने की बजाय उनके हक उन्हें देने चाहिए।
Mahila Sashaktikaran Nibandh in 500 words
आज भारत देश में “ महिला सशक्तिकरण ” बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन चुका है । महिला सशक्तिकरण” का अर्थ यह होता है कि महिलाएं अपना फैसला खुद ले सके, महिलाएं स्वतंत्र होकर जीवन जी सकें । भारतीय संस्कृति में महिलाओ को हमेशा से उच्च स्थान मिला हे । और ऐसा कहा जाता है कि जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां पर साक्षात् देवी देवताओं का वास होता है ।
देश, समाज और परिवार के उच्च भविष्य के लिए “महिला सशक्तिकरण” बेहद जरूरी है, इसलिए 8 मार्च पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women’s Day) मनाया जाता है । दुनिया में सबसे ज्यादा स्वतंत्र देश भारत ही है इसलिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समाज में एक समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए ।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है ?
महिला सशक्तिकरण को बहुत आसान भाषा में परिभाषित किया जाए तो, महिला एकजुट होकर अपने जीवन से जुड़े या फिर परिवार से जुड़े सभी निर्णय को ले सके । महिला सशक्तिकरण का सिर्फ यही लक्ष्य होता है कि महिलाओं को शक्ति प्रदान की जाए, ताकि वह समाज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फैसले ले सके तथा गर्व से अपना सिर उठाकर चल सके । महिला सशक्तिकरण के अंदर महिलाओं को उनका अधिकार दिया जाए ।
आज हम सभी जानते हैं हमारा देश पुरुष प्रभुत्व वाला देश है , जहां पर पुरुषों को महिलाओं की तुलना में सबसे ज्यादा माना जाता है जो कि यह सही बात नहीं है । आज भी भारत देश में कई जगह पर महिलाओं को पुरुषों की तरह काम करने नहीं दिया जाता और उन्हें परिवार की देखभाल और घर से ना निकलने की हिदायत दी जाती है ।
महिला सशक्तिकरण को क्यों इतना महत्व दिया जाता है ?
आज के आधुनिक युग में 40% से 50% महिलाएं ऐसी है, जो शिक्षित होने के बाद भी घर पर बैठी है । यानी कि देश का आधा ज्ञान घर पर बैठे-बैठे बेकार हो रहा है । हालांकि घर पर बच्चों की देखभाल या फिर परिवार की देखभाल करना जीवन का एक हिस्सा होता है परंतु इसका मतलब यह तो नहीं होता है की, जीवन वहीं तक सीमित रहे । महिलाओं को भी पुरुषों की तरह घर से बाहर निकल ना चाहिए और काम करना चाहिए क्योंकि इससे उनका ज्ञान और बढ़ता है । महिलाएं भी देश के लिए बहुत कुछ अच्छा कर सकती है ।
हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जी ने भी कहां है कि “देश को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत जरूरी होगा ” यदि महिलाएं आगे बढ़ने लगी, तो समझ लीजिए कि देश का विकास 4 गुना बढ़ जाएगा । महिलाओं को सशक्त बनाना एक बहुत ही महत्व का कार्य है ।
महिलाओं को क्यों नहीं दिया जा रहा है उनका हक ?
भारत देश मैं बहुत सारे ऐसे गांव हैं, जहां पर सिर्फ पुरुषों को ही शिक्षा दी जाती है । महिलाओं को शिक्षा नहीं दी जाती है, क्योंकि वहां पर महिला-पुरुष का एक भेदभाव रखते हैं । वहां के सभी लोग यही सोचते हैं कि महिलाएं पढ़ कर क्या करेंगी । लेकिन उन सभी लोगों को यह नहीं पता होता है कि महिला क्या कुछ कर सकती हैं । आपने देखा होगा कि आज सभी नौकरियों में सबसे ज्यादा प्रभुत्व महिला का ही होता है, क्योंकि अब बदल रहा है हमारा भारत देश ।
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2 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay in Hindi”
Asome essay
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi
- by Rohit Soni
- 14 min read
इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।
Table of Contents
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi
महिला सशक्तिकरण क्या है.
महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?
महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।
जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)
महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment
नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।
महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य
महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।
महिला सशक्तिकरण के उपाय
महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –
- सुकन्या समृध्दि योजना
- बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
- वन स्टॉप सेंटर
- लाड़ली लक्ष्मी योजना
- फ्री सिलाई मशीन योजना
एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)
[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]
“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”
प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।
महिलाओं का अतीत
वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी, अर्द्धांगिनी, लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।
भारत में महिलाओं का सम्मान
भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।
वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार
महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।
महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।
शासन तथा समाज का दायित्व
महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।
शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ
- सुकन्या समृद्धि योजना
नारी जागरण की आवश्यकता
यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।
वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।
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महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)
- महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
- हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
- महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
- बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
- बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
- 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
- वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
- महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
- महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।
यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।
FAQ Mahila Sashaktikaran Essay
Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.
Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।
Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?
Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।
Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?
Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।
इसी प्रकार के और भी उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में पढ़ने के लिए Hindi Read Duniya को सबस्क्राइब जरूर करें। निबंध को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!
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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”
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धन्यवाद भाई 💖
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)
‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।
महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi, Mahila Sashaktikaran par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द) – महिलाओं को सशक्त बनाना जरुरी क्यों है.
पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।
महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है
लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो।
लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।
महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है।
सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।
निबंध 2 (400 शब्द) – महिला सशक्तिकरण: लैंगिक समानता की ओर एक कदम
लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये।
महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।
महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के महिला-पुरुष समानता वाले वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश से बदला जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की मदद से बिना अधिक प्रयास किये परिवार के हर सदस्य का विकास आसानी से हो सकता है। एक महिला परिवार में सभी चीजों के लिये बेहद जिम्मेदार मानी जाती है अत: वो सभी समस्याओं का समाधान अच्छी तरह से कर सकती है। महिलाओं के सशक्त होने से पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जायेगा।
मनुष्य, आर्थिक या पर्यावरण से संबंधित कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेहतर उपाय महिला सशक्तिकरण है। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है। अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।
निबंध 3 (500 शब्द): भारत में महिला सशक्तिकरण की जरुरत
महिला सशक्तिकरण क्या है ?
महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।
भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है ?
महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वार कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरुरत पूरी हो जायेगी। आज जरुरत है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।
भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने ‘विविधता में एकता’ के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। महिलाओं को हर धर्म में एक अलग स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को ढ़के हुए बड़े पर्दे के रुप में और कई वर्षों से आदर्श के रुप में महिलाओं के खिलाफ कई सारे गलत कार्यों (शारीरिक और मानसिक) को जारी रखने में मदद कर रहा है। प्राचीन भारतीय समाज दूसरी भेदभावपूर्ण दस्तूरों के साथ सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह तथा देवदासी प्रथा आदि परंपरा थी। इस तरह की कुप्रथा का कारण पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि है।
पुरुष पारिवारिक सदस्यों द्वारा सामाजिक राजनीतिक अधिकार (काम करने की आजादी, शिक्षा का अधिकार आदि) को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के लिये अपनी आवाज उठायी। राजा राम मोहन रॉय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिये अंग्रेज मजबूर हुए। बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोभा भावे, स्वामी विवेकानंद आदि) ने भी महिला उत्थान के लिये अपनी आवाज उठायी और कड़ा संघर्ष किया। भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 की शुरुआत करवाई।
पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गये है। हालाँकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिये महिलाओं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरुरत है। आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरुक है जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे है। महिलाएँ ज्यादा खुले दिमाग की होती है और सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिये सामाजिक बंधनों को तोड़ रही है। हालाँकि अपराध इसके साथ-साथ चल रहा है।
कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है – एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956, मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।
भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।
निबंध – 4 (600 शब्द): महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं
आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय है, खासतौर से पिछड़े और प्रगतिशील देशों में क्योंकि उन्हें इस बात का काफी बाद में ज्ञान हुआ कि बिना महिलाओं तरक्की और सशक्तिकरण के देश की तरक्की संभव नही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को उंचा कर सकती है।
भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं
1) सामाजिक मापदंड
पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नही होती है। इस तरह के वातावरण में रहने के कारण महिलाएं खुद को पुरुषों से कमतर समझने लगती है और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती है।
2) कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण
कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादे प्रभावित होते है। यह समाज में पुरुष प्रधनता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए और भी समस्याएं उत्पन्न करता है। पिछले कुछ समय में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़ने में काफी तेजी से वृद्धि हुई है और पिछले कुछ दशकों में लगभग 170 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है।
3) लैंगिग भेदभाव
भारत में अभी भी कार्यस्थलों महिलाओं के साथ लैंगिग स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है। कई सारे क्षेत्रों में तो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाने की भी इजाजत नही होती है। इसके साथ ही उन्हें आजादीपूर्वक कार्य करने या परिवार से जुड़े फैलसे लेने की भी आजादी नही होती है और उन्हें सदैव हर कार्य में पुरुषों के अपेक्षा कमतर ही माना जाता है। इस प्रकार के भेदभावों के कारण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक दशा बिगड़ जाती है और इसके साथ ही यह महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को भी बुरे तरह से प्रभावित करता है।
4) भुगतान में असमानता
भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है और असंगठित क्षेत्रो में यह समस्या और भी ज्यादे दयनीय है, खासतौर से दिहाड़ी मजदूरी वाले जगहों पर तो यह सबसे बदतर है। समान कार्य को समान समय तक करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा काफी कम भुगतान किया जाता है और इस तरह के कार्य महिलाओं और पुरुषों के मध्य के शक्ति असमानता को प्रदर्शित करते है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के तरह समान अनुभव और योग्यता होने के बावजूद पुरुषों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है।
महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएं भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं है। वैसे तो शहरी क्षेत्रों में लड़किया शिक्षा के मामले में लड़को के बराबर है पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले वह काफी पीछे हैं। भारत में महिला शिक्षा दर 64.6 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। काफी सारी ग्रामीण लड़कियां जो स्कूल जाती भी हैं, उनकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट जाती है और वह दसवीं कक्षा भी नही पास कर पाती है।
6) बाल विवाह
हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गये प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है, कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है, जल्द शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता है और वह शारीरिक तथा मानसिक रुप से व्यस्क नही हो पाती है।
7) महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध
भारतीय महिलाओं के विरुद्ध कई सारे घरेलू हिंसाओं के साथ दहेज, हॉनर किलिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं। हालांकि यह काफी अजीब है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के अपेक्षा अपराधिक हमलों की अधिक शिकार होती हैं। यहां तक कि कामकाजी महिलाएं भी देर रात में अपनी सुरक्षा को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नही करती है। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी की जा सकती है जब महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और पुरुषों के तरह वह भी बिना भय के स्वच्छंद रुप से कही भी आ जा सकें।
8) कन्या भ्रूणहत्या
कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्तें में आने वाले सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूणहत्या का अर्थ लिंग के आधार पर होने वाली भ्रूण हत्या से है, जिसके अंतर्गत कन्या भ्रूण का पता चलने पर बिना माँ के सहमति के ही गर्भपात करा दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या के कारण ही हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में स्त्री और पुरुष लिंगानुपात में काफी ज्यादे अंतर आ गया है। हमारे महिला सशक्तिकरण के यह दावे तब तक नही पूरे होंगे जबतक हम कन्या भ्रूण हत्या के समस्या को मिटा नही पायेंगे।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका
भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।
1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
2) महिला हेल्पलाइन योजना
3) उज्जवला योजना
4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)
5) महिला शक्ति केंद्र
6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण
जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।
संबंधित जानकारी:
महिला सशक्तिकरण पर स्लोगन
महिला सशक्तिकरण पर भाषण
FAQs: Frequently Asked Questions on Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर- पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबंध के बिना खुद का निर्णय लेना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
उत्तर- शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का सबसे मुख्य स्रोत है।
उत्तर- डेनमार्क
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महिला सशक्तीकरण पर निबंध: लिंग, वर्ग, धर्म या सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर भेदभाव के बिना महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक अधिकार देना "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) कहलाता है। किसी राष्ट्र के विकसित होने के लिए यह एक आवश्यक शर्त है। इस लेख में "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो छात्रों के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
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हम सभी ने "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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एक शिक्षित महिला अपनी और अपने परिवार दोनों की मांगों को पूरा कर सकती है। आज के दौर में वे अधिक प्रसिद्ध हैं और राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में उनकी आवाज प्रखर है। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में पहला कदम उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना तथा उनके अधिकारों और हितों की रक्षा करना है।
कोई देश कितना भी प्रगतिशील क्यों न हो, लगभग सभी देशों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का इतिहास रहा है। दूसरे शब्दों में, महिलाएँ पूरे इतिहास में विद्रोही रही हैं ताकि वे आज जो मुकाम हासिल कर रही हैं उसे प्राप्त कर सकें। भारत जैसे तीसरी दुनिया के देश अभी भी महिला सशक्तीकरण में पीछे हैं, जबकि पश्चिमी देश आगे बढ़ रहे हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
महिला सुरक्षा: भारत उन देशों में से एक है जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यह कई कारकों के कारण है। सबसे पहले, ऑनर किलिंग भारत में महिलाओं के लिए खतरा है। यदि यह माना जाता है कि महिलाओं ने परिवार को बदनाम किया है, तो उनके परिवार का मानना है कि उन्हें मार डालना उचित है।
बाल विवाह: इसके अतिरिक्त, स्वतंत्रता और ज्ञान की यह तस्वीर अपेक्षाकृत पिछड़ी हुई है। महिलाओं की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और वे उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं। अन्य क्षेत्रों में, पुरुष महिलाओं पर इस तरह शासन करते हैं जैसे कि वह उनकी सेवा करने के लिए बनी हो। वे उन्हें घर से बाहर निकलने की किसी भी स्वतंत्रता या अवसर से वंचित करते हैं।
अन्यायपूर्ण व्यवहार: भारत में, घरेलू हिंसा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। क्योंकि वे मानते हैं कि महिलाएं उनकी संपत्ति हैं, पुरुष उनकी पत्नियों को मारते और गाली देते हैं। इसके विरुद्ध आवाज़ उठाना महिलाओं के लिए बहुत कठिन था। इसी तरह काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पारिश्रमिक दिया जाता है। समान श्रम के लिए किसी को उसके लिंग के आधार पर कम भुगतान करना स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण और लैंगिकवादी है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि महिलाओं के सशक्त होने का समय आ गया है।
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महिलाओं को उनके उचित अधिकार देना उन्हें सशक्त बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का एक तरीका है। भारत की पौराणिक कथाएं महिलाओं को देवी का दर्जा देती हैं। देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें हमारे घर में प्रथम स्थान दिया जाता है। लेकिन जब बात महिलाओं की आती है तो उन्हें मौलिक अधिकार भी नहीं मिलते हैं। ये भी पढ़ें : हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
राजनीतिक सशक्तीकरण
राजनीतिक सशक्तीकरण सरकारी भूमिकाओं और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी का वर्णन करता है। 2017 के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में सभी संसदीय पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 23.6% है। महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान करना तथा उन्हें उच्च पद बनाए रखने की अनुमति देना महिलाओं के लिए राजनीतिक सशक्तीकरण रणनीतियों के दो उदाहरण हैं। संसदीय सीटों में महिलाओं के लिए आरक्षण और अन्य संवैधानिक भूमिका उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में अधिक प्रमुखता प्रदान करेगी।
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आर्थिक सशक्तीकरण
महिलाएं अपनी प्रतिभा को निखारकर तथा अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इसे महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण कहा जाता है। महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास के लिए एक कार्यक्रम नीति निर्माताओं द्वारा गैर सरकारी संगठनों और अन्य प्रासंगिक समूहों के सहयोग से स्थापित किया जाता है ताकि वे या तो सार्थक रोजगार पा सकें या अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।
आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर महिलाओं की सामाजिक स्थिति और स्वाभिमान को ऊंचा किया जा सकता है। महिला सशक्तीकरण की सभी चर्चाएँ तभी सार्थक हैं जब महिलाएँ अपने परिवार और खुद को स्वतंत्र रूप से सहारा देना सीख लेंगी।
महिला सशक्तीकरण के लाभ (Advantages of Women Empowerment)
महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के समाज और पूरे देश दोनों के लिए कई फायदे हैं। महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
महिलाएं सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगी तथा खुद का सम्मान करेंगी।
जैसे-जैसे महिलाएं आगे बढेंगी और देश के विकास में योगदान देंगी, महिलाओं को अधिक आत्मविश्वास प्राप्त होगा।
महिलाओं को उच्च सामाजिक स्थान प्राप्त होगा और वें अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत और मूल्यवान होंगी।
महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और स्वतंत्र मौद्रिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।
महिलाओं को सशक्त बनाने से लैंगिक पूर्वाग्रह से रहित न्यायपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।
समग्र रूप से राष्ट्र की बेहतर स्वास्थ्य स्थिति महिलाओं की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का परिणाम है।
एक महिला जो काम करती है वह परिवार की आय में वृद्धि करती है, उनके जीवन और सामाजिक प्रतिष्ठा में सुधार करती है।
एक शिक्षित महिला यह सुनिश्चित करेगी कि उसके बच्चे शिक्षित हों, जिससे एक समृद्ध देश का निर्माण हो सके।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG 2030) को महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के समर्थन से प्राप्त किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण लेख -
- बिहार बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें
- छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
- एमपी बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें
- एमपी बोर्ड 12वीं टाईमटेबल देखें
मेरे विचार (My Opinion)
महिलाओं को किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच होनी चाहिए। जब महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) की बात आती है, तो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है। पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का निरंतर सुधार सुनिश्चित होगा। परिणामस्वरूप, हमारी नगरपालिका आवश्यक कदम उठा रही है। वे महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं, उन्हें मुफ्त राशन तथा उपयुक्त मतदान सुविधा प्रदान करते हैं।
पहले हमारे क्षेत्र में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, लेकिन अब वे बिना किसी भेदभाव या खतरे के वोट दे सकती हैं। अपनी नगरपालिका को ये कदम उठाते हुए देखकर मुझे गर्व और खुशी महसूस हो रही है। मैं सरकार और उच्च अधिकारियों को इस तरह के कदम उठाने तथा इन अविश्वसनीय महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं।
महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की बड़ी भूमिका है। कई महिलाएं इस डर से हिंसक रिश्तों में रहती हैं कि दूसरे क्या सोचेंगे। महिलाओं का समर्थन करना एक सरल कदम है जो एक ऐसे समाज में काफी सुधार करेगा जहां सभी को स्वीकार किया जाता है। ऊपर शामिल महिला सशक्तीकरण (Women Empowement Essay in hindi) पर निबंध पाठकों को समाज में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के महत्व और आवश्यकता को समझने में मदद करने में सहायक होना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) संबन्धित आपकी सभी समस्याओं का सामाधान हो गया होगा। ऐसे ही और भी महत्वपूर्ण लेख व निबंधों को पढ़ने के लिए इस लेख में मौजूद लिंक्स पर क्लिक करें।
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महिलाओं पर अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। महिला को कमजोर क्यों सोचा जाता है। जब महिलाएं भी हर जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती हैं तब भी महिलाओं को कम ही आंका जाता है। महिलाओं को आज भी पूर्ण रूप से अधिकार प्राप्त नहीं हुए हैं। आज महिला के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। एक महिला ही हम सभी को इस धरती पर लाती है। बिना स्त्री के हमारी रचना कैसे होती। एक स्त्री ही हमें नौ महीने तक अपने पेट में रखती है। नौ महीने बाद हम इस दुनिया में आते हैं। आज का हमारा विषय महिला सशक्तिकरण पर आधारित है।
आज मैं अखबार पढ़ रही थी। अखबार पढ़ते-पढ़ते मेरी नजर एक हेडलाइन पर गई। वह खबर पढ़कर मेरी रूह कांप गई। उस खबर में लिखा था कि एक पति ने अपनी पत्नी को दहेज के लिए एक हफ्ते तक भूखा रखा। जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो मामला सामने आया। मुझे घबराहट सी होने लगी कि कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। यह केवल आज की खबर नहीं थी। ऐसी ही खबरें हर रोज पढ़ने को मिल जाती हैं।
महिला सशक्तिकरण क्या है?
महिला अर्थात नारी को कैसे परिभाषित करेंगे? एक नारी मां का, बहन का, पत्नी का, और बहु का फर्ज निभाती है। एक महिला इन सभी भूमिकाओं को अच्छे से निभाते हुए हर कसौटी पर खरी उतरती है। एक महिला शादी से पहले अपने माता-पिता के घर को अच्छे से संभालती है। और शादी हो जाने के बाद वह अपने पति के घर की जिम्मेदारियां अच्छे से निभाती है। अपने बच्चे को पाल पोसकर बड़ा करती है। वह ताउम्र बदले में बिना कुछ मांगे काम करती रहती है।
लेकिन बदले में हम महिलाओं को कितना सम्मान देते हैं? हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं। आखिर यह महिला सशक्तिकरण है क्या? सशक्तिकरण का अर्थ है किसी को हर तरह के निर्णयों को लेने की शक्ति प्रदान करवाना। एक व्यक्ति तब सशक्त माना जाता है जब उसको खुलकर जीने की आजादी हो।
इसी प्रकार जब हम महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी देते हैं तो ऐसे में हम एक महिला को सशक्त मानते हैं। जब एक महिला सशक्त होती है तो वह हर प्रकार के फैसले स्वयं से ले सकती है। एक सशक्त महिला रोजगार और शिक्षा में पुरुषों को बराबरी की टक्कर देती है।
महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है?
हाल ही एक सर्वे में यह दावा किया गया कि पूरी दुनिया में कनाडा देश की महिलाएं सबसे ज्यादा शिक्षित महिलाएं हैं। यही अगर हम अपने देश भारत की बात करें तो नतीजा उल्टा दिखता है। हमारे देश में 2011 की जनगणना के मुताबिक मात्र 64% महिलाएं ही शिक्षा के अधिकार को हासिल करने में कामयाब हुई हैं।
सिर्फ यही नहीं महिलाओं का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान भी बहुत कम है। हमारे देश की केवल 17% महिलाएं ही GDP में योगदान देती हैं। कहते हैं कि 21वीं शताब्दी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। लेकिन यह पूरा सच आज भी नहीं है।
महिलाओं को आज भी बहुत से अधिकारों को प्राप्त करने से वंचित रखा जाता है। महिलाओं को कमजोर आंका जाता है। आज भी लीडरशिप में पुरुषों को ज्यादा योग्य माना जाता है। महिलाओं की निर्णय शक्ति पर भरोसा नहीं किया जाता है। यहां तक कि महिलाओं पर घोर अत्याचार किया जाता है।
दहेज हत्या, अपहरण, कन्या भ्रूण हत्या, कुकर्म यह सब महिलाओं पर अत्याचार नहीं तो और क्या है। आज का समय ऐसा है जब महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा देना होगा। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाना होगा। हमें उनपर विश्वास जताना होगा। जब महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलेंगी तभी वह सशक्त बन पाएंगी।
महिला सशक्तिकरण के लाभ
अगर बिना नर के यह दुनिया अधूरी है तो बिना नारी के भी यह दुनिया कुछ नहीं कर सकती है। हमारे समाज में महिलाओं का योगदान बहुत ज्यादा है। बिना नारी के समाज का उत्थान होना बहुत मुश्किल है। जहां नारी का सम्मान नहीं वह देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है। महिला सशक्तिकरण से कई लाभ देखने को मिले-
- महिला सशक्तिकरण के चलते देश की नारी का आत्मविश्वास बढ़ा है।
- महिला सशक्तिकरण ने देश की महिलाओं को सम्मान के साथ जीना सीखा दिया है।
- महिलाएं खुलकर अपने हक के लिए बोल सकती हैं।
- महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों को बराबरी की टक्कर दे रही हैं।
- महिला सशक्तिकरण एक महिला को परिवार के महत्वपूर्ण फैसलों में हिस्सा लेने का हक प्रदान करता है।
महिला सशक्तिकरण योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर रोक लगाई जा सके। महिलाओं का सशक्त होना बहुत आवश्यक है। ऐसा होने से वह किसी पर निर्भर नहीं रहती हैं। एक सशक्त महिला सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकती है। महिला को सशक्त बनाने हेतु सरकार द्वारा प्रयास किए गए हैं।
लेकिन बहुत सी जगह ऐसी भी हैं जहां महिलाएं आज भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हैं कि वह अपने अधिकार प्राप्त कर सकें। केवल एक जने के प्रयास से ही महिला सशक्तिकरण सफल नहीं होगा। हम सभी को जागरूक होकर महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने में मदद करनी होगी। तभी जाकर महिला सशक्तिकरण सार्थक साबित होगा।
महिला सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में
महिला भगवान द्वारा धरती पर भेजा गया सबसे अनमोल उपहार है। महिला को मां दुर्गा के रूप में देखा जाता है। एक महिला ही कड़ी से कड़ी परिस्थितियों में भी मजबूती के साथ खड़ी रहती है। वह एक मां, पत्नी और बेटी के रूप को बेखूबी से निभाती है। महिलाओं से संपूर्ण सृष्टि चलती है। आज हम जिस धरती पर रहते हैं उसे माता का दर्जा दिया जाता है। केवल धरती ही नहीं जिस गाय से हम सभी को दूध और दही मिलता है वह भी एक स्त्री के रूप में होती है। गाय को भी हम माता कहकर पुकारते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि नारी से ही सारा संसार चलता है। नारी का सम्मान होना चाहिए। नारी स्वयं ही ईश्वर का रूप है। लेकिन इसी नारी की दुर्दशा हो रखी है। आज हर जगह नारी का अपमान हो रहा है। दहेज प्रथा, बाल विवाह प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या यह सभी प्रथाएँ महिलाओं के खिलाफ अत्याचार हैं।
महिलाओं को आज भी उच्च शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। महिलाओं को रोजगार प्राप्त करने में बाधा का सामना करना पड़ता है। यही एक वजह थी कि महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण योजना लागू की गई। इस योजना के तहत महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने की कोशिश की गई। इस योजना से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कमी देखने को मिली है।
महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइनें
- महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही शानदार योजना है।
- इस योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।
- आज महिलाएं ऊंचे से ऊंचा पद संभाल रही हैं।
- महिलाओं को भी सम्मान भरा जीवन जीने में मदद मिली है।
- इस योजना से महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों में कमी देखने को मिली है।
- महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को हर प्रकार की सुविधाएं प्राप्त होना।
- महिलाओं से हमारा घर भरा हुआ लगता है।
- महिलाएं साक्षात लक्ष्मी के समान होती हैं। महिलाओं का आदर करना चाहिए।
- किसी देश की प्रगति इस बात पर निर्भर करती है कि उस देश की महिला कितनी प्रगति कर रही है।
- महिला सशक्तिकरण की मदद से महिलाओं का वेतन भी बढ़ा है।
महिला सशक्तिकरण पर आधारित FAQs
प्रश्न 1. महिला सशक्तिकरण क्या है?
उत्तर :- सशक्तिकरण का अर्थ है किसी को हर तरह के निर्णयों को लेने की शक्ति प्रदान करवाना। एक व्यक्ति तब सशक्त माना जाता है जब उसको खुलकर जीने की आजादी हो। इसी प्रकार जब हम महिलाओं को खुलकर जीने की आजादी देते हैं तो ऐसे में हम एक महिला को सशक्त मानते हैं।
प्रश्न 2. महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर :- आज के दौर में भी महिलाओं को कमजोर आंका जाता है। आज भी लीडरशिप में पुरुषों को ज्यादा योग्य माना जाता है। महिलाओं की निर्णय शक्ति पर भरोसा नहीं किया जाता है। यहां तक कि महिलाओं पर घोर अत्याचार किया जाता है। दहेज हत्या, अपहरण, कन्या भ्रूण हत्या, कुकर्म आदि। इन्हीं कारणों के चलते महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है।
प्रश्न 3. महिला सशक्तिकरण के क्या लाभ हैं?
उत्तर :- महिला सशक्तिकरण की मदद से हम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं। महिलाएं खुलकर अपने हक के लिए बोल सकती हैं। महिला सशक्तिकरण एक महिला को परिवार के महत्वपूर्ण फैसलों में हिस्सा लेने का हक प्रदान करता है।
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महिला सशक्तिकरण पर संक्षिप्त निबंध। Women Empowerment Essay in Hindi
इस पोस्ट में, आपको महिला सशक्तिकरण पर कई बेहतरीन निबंध (women empowerment essay in hindi) मिलेंगे जो महिला सशक्तिकरण (mahila sashaktikaran) की परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाते हैं। इन छोटे-छोटे महिला सशक्तिकरण के निबंधों (women empowerment essay 250 words to 500 words)के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के महत्व, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और आगे की राह के बारे में भी जानेंगे।
साथ ही साथ महिलाओं की प्रगति के लिए शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक भागीदारी की आवश्यकता के बारे में टिप्पणी करेंगे। तो हमारे साथ इस यात्रा में शामिल हो और एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य के लिए महिलाओं को सशक्त बनाएं।
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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 250 से 500 शब्द के बीच । Women Empowerment Essay 250 words to 500 words or Women empowerment essay in hindi or Essay on women empowerment in hindi:
Table of Contents
महिला सशक्तिकरण (mahila sashaktikaran) आज के समाज में बहुत ही महत्व और प्रासंगिकता का विषय है। इसमें महिलाओं को सशक्त बनाने, उन्हें समान अधिकार, अवसर और संसाधन प्रदान करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के विचार शामिल हैं।
महिला सशक्तिकरण (nari sashaktikaran) केवल लैंगिक समानता के बारे में नहीं है बल्कि यह एक ऐसा समाज बनाने के बारे में है जहाँ महिलाओं का सम्मान किया जाता है, उन्हें महत्व दिया जाता है, और उन्हें अपने जीवन के बारे में चुनाव करने की आज़ादी होती है।
यहां महिला सशक्तिकरण पर विभिन्न लघु निबंध (Women Empowerment Essay 250 words to 500 words) भारतीय समाज और संस्कृति के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण की अवधारणा की पड़ताल करते हैं, इसके महत्व, चुनौतियों और आगे की राह पर प्रकाश डालते हैं।
आइए हम महिला सशक्तिकरण (women empowerment in hindi) की यात्रा और व्यक्तियों, समुदायों और समाज पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में जानें।
1. महिला सशक्तिकरण: भीतर की शक्ति को उजागर करना। Women empowerment essay in hindi or mahila sashaktikaran essay in hindi
महिला सशक्तिकरण एक सतत आंदोलन है जो बाधाओं को तोड़ने, लिंग मानदंडों को चुनौती देने और एक ऐसे समाज का निर्माण करने की कोशिश करता है जहां महिलाएं अपनी क्षमता का पूरी तरह से एहसास कर सके।
यह एक परिवर्तनकारी प्रयास है जो न केवल महिलाओं को लाभान्वित करती है बल्कि समाज का उत्थान भी करती है और सामाजिक प्रगति को गति देती है।
इस निबंध में, हम महिला सशक्तिकरण के सार, इसके महत्व और और इसमें किए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे।
इसके मूल में, महिला सशक्तिकरण महिलाओं के निहित मूल्य, क्षमताओं और अधिकारों को पहचानने के बारे में है। इसमें उन्हें शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान अवसर प्रदान करना शामिल है।
सशक्त महिलाएं परिवर्तन की प्रतिनिधि हैं जो आर्थिक विकास, सामाजिक विकास में योगदान दे सकती हैं। जब महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने की आजादी दी जाती है, तो वे सकारात्मक बदलाव की उत्प्रेरक बन जाती हैं।
महिला सशक्तिकरण के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो समाज फलता-फूलता है। जिससे गरीबी दर कम होती है, स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम मिलते हैं और समग्र कल्याण में वृद्धि होती है।
सशक्त महिलाओं के पास आवाज उठाने की शक्ति होती है और वे नीतियों को आकार देने और अधिक समावेशी समाज बनाने में सक्रिय रूप से भाग ले सकती हैं।
सामाजिक बाधाओं को तोड़कर और लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देकर, हम एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं जहाँ महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है।
हालांकि, महिला सशक्तिकरण हासिल करना इसकी चुनौतियों के बिना नहीं है। पितृसत्तात्मक मानदंड, सांस्कृतिक परम्पराओं की गहरी जड़ें अक्सर प्रगति में बाधा डालते हैं। इन बाधाओं को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए सरकार, समाज संगठनों और व्यक्तियों की भागीदारी की आवश्यकता है, जो लैंगिक समानता को बढ़ावा दे और महिलाओं को सशक्त बनाये।
सार्थक परिवर्तन लाने के लिए, हमें लड़कियों के लिए शिक्षा और कौशल विकास में निवेश करना चाहिए, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। आर्थिक सशक्तिकरण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, हमें लिंग आधारित हिंसा को रोकने का प्रयास करना चाहिए और सहायता प्रणाली प्रदान करनी चाहिए।
अंत में, महिला सशक्तिकरण एक परिवर्तनकारी आंदोलन है जिसका उद्देश्य बाधाओं को दूर करना और एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां महिलाएं आगे बढ़ सकें।
यह केवल समानता प्राप्त करने के बारे में नहीं है; यह समाज में महिलाओं की अपार क्षमता और योगदान को पहचानने के बारे में है।
महिलाओं को सशक्त बनाकर, हम एक ऐसी शक्ति का निर्माण करते हैं जो सभी के लिए सकारात्मक परिवर्तन, समानता और एक उज्जवल भविष्य ला सकती है।
2. महिला सशक्तिकरण: उज्जवल भविष्य की संभावनाओं को उजागर करना। Women Empowerment Essay 250 words to 500 words or Women empowerment essay in hindi
महिला सशक्तिकरण एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है। इसमें शिक्षा और आर्थिक अवसर से लेकर सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी शामिल हैं। इसके मूल में, महिला सशक्तिकरण महिलाओं को वे उपकरण और संसाधन देने के बारे में है जिनकी उन्हें जीवन को जीने के लिए आवश्यकता है।
महिला सशक्तिकरण क्यों महत्वपूर्ण है इसके कई कारण हैं। यह केवल मानवाधिकारों का मामला नहीं है। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य का पुरुषों के समान अधिकार है। उन्हें समाज के सभी स्तरों पर निर्णय लेने में भाग लेने का भी अधिकार है।
जब महिलाओं को इन अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो यह भेदभाव का एक रूप है। महिला सशक्तिकरण मानव अधिकारों का विषय होने के साथ-साथ समग्र रूप से समाज के लिए भी अच्छा है।
जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो उनके अर्थव्यवस्था में योगदान करने, स्वस्थ बच्चों को पालने और जिम्मेदार नागरिक के रूप में भाग लेने की अधिक संभावना होती है। इससे एक अधिक समृद्ध, स्थिर और लोकतांत्रिक समाज बन सकता है।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। सरकार महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देने वाले कानून पारित कर सकती हैं। व्यवसाय ऐसी नीतियां बना सकते हैं जो महिलाओं के रोजगार का समर्थन करती हैं। व्यक्ति लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दे सकते हैं और महिला नेतृत्व का समर्थन कर सकते हैं।
साथ मिलकर काम करके हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां सभी महिलाओं को उचित अवसर मिले। महिला सशक्तिकरण कैसे प्राप्त किया जा सकता है इसके कुछ विशिष्ट उदाहरण यहां दिए गए हैं:
शिक्षा: लड़कियों को शिक्षित करना उन्हें सशक्त बनाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। शिक्षा महिलाओं को वह ज्ञान और कौशल प्रदान करती है जिससे उन्हें अच्छी नौकरी पाने, जीविकोपार्जन करने और अपने जीवन के बारे में सही निर्णय लेने के लिए आवश्यक है।
आर्थिक अवसर: महिलाओं को उचित वेतन देने वाली अच्छी नौकरियों तक पहुंच की आवश्यकता है। जब महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा होती है, तो वे अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पाती हैं।
सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी: महिलाओं को समाज में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम होना चाहिए। इसमें मतदान का अधिकार,किसी भी पद के लिए सक्षम और नेतृत्व के पदों को धारण करना शामिल है।
स्वास्थ्य देखभाल: महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सहित उत्तम स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
महिला सशक्तिकरण एक यात्रा है, मंजिल नहीं। यह लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने, समानता को बढ़ावा देने और अधिक न्यायसंगत दुनिया बनाने की एक सतत प्रक्रिया है।
3. महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के बारे में हमारी सोच में बदलाव। Women empowerment essay in hindi or nari sashaktikaran essay in hindi or nari shakti essay in hindi
महिला सशक्तिकरण का मतलब केवल महिलाओं को अधिकार और अवसर देना नहीं है। यह महिलाओं के बारे में हमारे सोचने के तरीके को बदलने के बारे में भी है।
बहुत लंबे समय से महिलाओं को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जाता रहा है। उन्हें समाज के सभी क्षेत्रों में कमतर आंका जाता है, लेकिन अब समय के साथ साथ चीजें बदलने लगी है।
लैंगिक असमानता के खिलाफ महिलाएं तेजी से आवाज उठा रही है। वे समान वेतन, समान अधिकार और समान अवसर की मांग कर रही हैं। और वे प्रगति कर रही हैं।
हाल के वर्षों में, हमने महिलाओं के लिए कई सकारात्मक विकास देखे हैं। वे सरकार, व्यवसाय और शिक्षा में उच्च-स्तरीय पदों पर आसीन हैं। और वे राजनीति और समाज में अपनी आवाज उठा रही हैं।
लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। आज भी महिलाओं को जीवन के कई क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उनके गरीब होने की संभावना अधिक है, शिक्षित होने की संभावना कम है, और हिंसा के शिकार होने की संभावना अधिक है।
हमें महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करना जारी रखना होगा। हमें लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देने और एक ऐसी दुनिया बनाने की जरूरत है जहां महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाए।
हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जीवन में सफल होने के लिए महिलाओं के पास पुरुषों के समान अवसर हों।
महिला सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं की मदद करना नहीं है। यह समग्र रूप से समाज की मदद करने के बारे में है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे स्वस्थ बच्चों को पालने और अर्थव्यवस्था में योगदान करने की भी अधिक संभावना रखती है।
महिलाओं को सशक्त बनाना सभी के लिए फायदे का सौदा है। यह करना सही बात है, और यह पूरे समाज के लिए अच्छा है। यहां कुछ खास उपाय हैं जो हम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कर सकते हैं:
लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करें: शिक्षा सशक्तिकरण का आधार है। यह महिलाओं को ज्ञान और कौशल प्रदान करता है जिससे उन्हें अच्छी नौकरी पाने, जीविकोपार्जन करने और अपने जीवन के बारे में सही निर्णय लेने के लिए आवश्यकता होती है।
आर्थिक अवसर प्रदान करें: महिलाओं को समान वेतन देने वाली अच्छी नौकरियों तक पहुंच की आवश्यकता है। जब महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा होती है, तो वे अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पाती हैं।
लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दें: हमें महिलाओं के बारे में अपनी सोच बदलने की जरूरत है। हमें उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में नहीं बल्कि समान रूप में देखने की जरूरत है।
सम्मान की संस्कृति बनाएं: हमें एक ऐसी दुनिया बनाने की जरूरत है जहां महिलाओं का सम्मान हो। इसका मतलब है महिलाओं के खिलाफ हिंसा को चुनौती देना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।
ऐसी ही अन्य महिला सशक्तिकरण पर प्रेरणादाई निबंधों, स्लोगन और अन्य जानकारी के लिए लिए हमारे Women Empowerment Blogs वेब पेज को विजिट करना और पढ़ना ना।
आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।
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Women Empowerment Essay in Hindi : महिला सशक्तिकरण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैंपल
- Updated on
- मार्च 4, 2024
“लोगों को जगाने के लिए, महिलाओं का जागृत होना जरूरी है” पण्डित जवाहर लाल नेहरू द्वारा कही गयी यह लाइन महिला सशक्तिकरण के महत्व को दर्शाती है। बता दें कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत स्तर पर सशक्त बनाना है। महिला सशक्तिकरण देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे समाज के हर क्षेत्र में योगदान दे सकती हैं। इस बीच भारत सरकार भी महिला सशक्तिकरण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। ऐसे में विद्यार्थियों को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में बताने के लिए पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं महिला सशक्तिकरण पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं विस्तार से।
This Blog Includes:
महिला सशक्तिकरण के बारे में , महिला सशक्तिकरण पर 100 शब्दों में निबंध , महिला सशक्तिकरण पर 200 शब्दों में निबंध, महिला सशक्तिकरण क्यों महत्वपूर्ण है, महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका, महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन्स.
‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ क्या है। तो आईये आपको बता देते हैं कि ‘सशक्तिकरण’ का अर्थ किसी व्यक्ति या समूह को अपनी क्षमता पहचानने, विकसित करने और उपयोग करने में सक्षम बनाना है। ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके।
अब समझते हैं कि महिला सशक्तिकरण क्या है। महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओं को उनकी क्षमता तक पहुंचने और समाज में समान भागीदारी करने में मदद करता है।
आज महिलायें विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे में महिला सशक्तिकरण मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है, ताकि वह स्वयं निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में कहे तो, यह महिलाओं को अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है।
100 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है:
महिला सशक्तिकरण, एक सशक्त समाज की नींव है जो महिलाओं को उनकी क्षमता तक पहुंचने और समाज में समान भागीदारी करने में सक्षम बनता है। महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में मदद करना। यह देश के साथ-साथ एक परिवार की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से, महिलाएं रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बाधाओं को कम करने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनती हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे परिवार कल्याण, सामुदायिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
यह भी पढ़ें : मदर टेरेसा पर निबंध
200 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है:
महिला सशक्तिकरण, एक सतत प्रक्रिया है जो महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाती है। यह महिलाओं को जीवन में समान अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है, उनको अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। एक सशक्त नारी अपने इच्छानुसार पढ़ने और काम करने सफल होती है। वे अधिक आत्मविश्वासी होती हैं। इसके साथ ही वह एक खुशहाल परिवारों के पोषण और सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
लोगों के द्वारा लगाए गए अवरोध अक्सर महिला सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं। कई बार उन्हें घरेलू भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। नारियों को सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बाधाएँ पैदा करती हैं। फिर भी, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता साबित की है, रूढ़िवादिता को दूर किया है और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के प्रयासों में बाल विवाह को समाप्त करने और दहेज प्रथा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के बीच सहयोग का होना भी महत्वपूर्ण है।
महिला सशक्तिकरण पर 500 शब्दों में निबंध
500 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है:
यह भी पढ़ें : विश्व हिंदी दिवस पर निबंध
विश्व स्तर पर अपनी संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा हुआ देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। महिला सशक्तिकरण आज के समय में एक विशेष चर्चा का विषय है। इसका अर्थ केवल महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देना नहीं है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना भी है। आज भी भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए कई चुनौतियां हैं। इनमें दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता आदि शामिल हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
महिलाओं के सशक्त होने से समाज भी मजबूत होता है। जब महिलायें सशक्त होती है तो वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाती है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। जिनमें से कुछ निम्नलिखित है :
- न्याय और समानता
- आर्थिक विकास
- सामाजिक विकास
- स्वास्थ्य और शिक्षा
बदलते समय के साथ, आज की नारी पढ़-लिख कर स्वतंत्र है। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है और चारदीवारी से बाहर निकलकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वे अब देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर बड़े से बड़े कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। शिक्षा से लेकर राजनीति तक महिलाएं सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं और इन क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने में मदद कर रही है। सही समर्थन मिलने पर महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं को संभालते देखा है, चाहे वह एक प्रधान मंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ हो।
आज भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में शुमार है। इस आर्थिक प्रगति के साथ-साथ, महिला सशक्तिकरण को प्राप्त करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति पुरानी सोच में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक है। हालाँकि यह सच है कि लोगों की सोच बदल रही है, लेकिन हमें इस दिशा में और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसरों, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक जीवन में समान अधिकार और अवसर प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। हमें सभी को मिलकर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
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Women Empowerment Essay in Hindi में आप महिला सशक्तिकरण को यहाँ दिए गए 10 लाइन्स में आसानी से समझ सकते हैं-
- महिला सशक्तिकरण का अर्थ है समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी को पुरुषों के बराबर बनाना।
- महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने निर्णय स्वयं लेने की आजादी देता है और उन्हें अधिक आत्मनिर्भर बनाता है।
- महिला सशक्तिकरण, किसी भी देश की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- महिला सशक्तिकरण से महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनती है।
- महिला के सशक्त होने एक सुखी और समृद्ध विश्व की स्थापना में मदद मिलेगी।
- महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य है सभी महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करना।
- सशक्त महिलाएँ समाज में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान दे सकती हैं।
- महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव मिटाने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
- महिला सशक्तिकरण, सभी महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
लातविया दुनिया का ऐसा देश है जहाँ महिलाओं की जनसँख्या ज्यादा है। बता दें कि इस देश में महिलाओं की कुल जनसँख्या की 54.10% है।
महिला सशक्तिकरण की मदद से समाज में नारी को वह स्थान मिलता, जिसकी वह हमेशा से हकदार रही है। महिला सशक्तिकरण की मदद से महिलायें, बन्धनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद ले सकती हैं।
राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।
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